चले जा रहे है
बस चले जा रहे हैं
वो पाँव
जिनका ठिकाना
हो गया हैं अब अज्ञात
इल्म नहीं उन्हें इतना भी
कि
पहुँच भी पाएंगे अपनी मंजिल तक
या मिलेगी दुसरी ही मंजिल (मौत)
ना जाने
कैसे कहाँ से आये थे
कि
बेबसी और लाचारी
ही रह गयी है
उनकी पहचान अब
©vaishali_singhal
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